तू और मैं…
तू सती है, तो मैं शिव तेरा हूं।
तेरे ना होने पर, मैं स्वयं अधूरा हूं।।
तू गिरजा है, तो मैं शंकर तेरा हूं।
तेरे होने पर मैं कण-कण पूरा हूं।।
तू शक्ति है, तो मैं वीरभद्र तेरा हूं।
तेरे ना होने पर मैं अभद्र गहरा हूं।।
तू पार्वती है, तो मैं महादेव तेरा हूं।
तेरे होने पर मैं सदैव सत्य पूरा हू।।
तू शक्ति ब्रह्मांड की, मै तेरा ब्रह्म हू।
तू भक्ति संसार की मैं तेरा कर्म हूं ।।
- सनी राजपूत
मन के विचार
मन तो बहुत है, बहुत कुछ कहने का
किन्तु मन करता है,कुछ ना कहने का
शांत बैठकर तुम्हे, गुनगुनाते रहते है
मन ही मन स्वयं से, बुदबुदाते रहते है
आज तोडूंगा अपने, शब्दों की मर्यादा
डर जाता हूं कि,कह ना दू कुछ ज्यादा
फिर होती रात कुछ सामर्थ्य जुटाता हूं
कहदूं कुछ पर संकल्प कर सो जाताहूं
भोर आएगी वो भी एक दिन प्रारंभ में
कहूंगा सबकुछ उसी दिन के आरंभ मे
दृढ संकल्पित हो तुम्हें कहता जाउंगा
करता हूं अनंत प्रेम सबको बतलाउंगा
-सनी राजपूत
कारगिल
घुस आए भीतर जबवो,
समझे कि खातिर होगी,
हमने ना अपमान किया,
दफनाने में सम्मान दिया।
चढ़कर बैठेथे माथे पर,
समझे चाल शातिर होगी,
हमने स्वागत खूब किया,
जीवित उन्हें ना जाने दिया।
⚔️⚔️ कारगिल विजय दिवस ⚔️⚔️
- सनी
'अर्धांगिनी'
पूर्ण हुआ हूं तुम्हारे आने से,
वर्षों बरस घूमता रहा अधूरा,
शाश्वत सत्य था तुम्हारा आना,
किन्तु मन में विश्वास था अधूरा।1।
हुआ संयोग ऐसा कि तुम आयी,
जीवन में मैंने फिर पूर्णता है पायी,
शक्ति समान तप कर जगाया तुमने,
निरर्थक शव को शिव बनाया तुमने।2।
-सनी
शक्ति
शक्ति जिससे ब्रह्मांड सहमता,
शक्ति जिसकों संसार पूजता।
शक्ति जिससे प्रकृति सहायी,
शक्ति जिसने मानवता सिखायी।
शक्ति जिसकी अनेक कथाएं,
शक्ति जिसमें सभी समाएं।
शक्ति जिससे असुरदल हारें,
शक्ति जिनके भक्त सहारें।
शक्ति जिसके अनेकों रूप,
शक्ति सबकी माता स्वरूप।
शक्ति बिन साधन अछूते है,
शक्ति बिन शिव अधूरे है।
-सनी
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