Economy Ko Gatimaan Banate Tyohar
राधा अपने स्कूल से आने के बाद अपनी माता से 15 August स्वतन्त्रता दिवस की तैयारी के लिए खरीदारी की बात करती हैं राधा की माता राधा को साथ लेकर बाजार जाती है और उसकी पसंद की सभी चीजे राधा को दिलाती है। राधा बाजार में सभी दुकानों पर ध्यान पूर्वक दृष्टि रखती है और उसके मन में अनेको प्रश्न घर करने लगते है। राधा का ध्यान कुछ ऐसी दुकानों पर भी जाता है, जिस पर दुकानदार एक ही व्यक्ति होता है लेकिन दुकान पर मिलने वाली वस्तुओ में परिवर्तन हो जाता है। राखी के त्यौहार के समय राखी के साथ उस समय उपयोग में आने वाली वस्तुओ की बिक्री करने लगते है तो गणेश उत्सव के समय गणेश जी मुर्तिओ की बिक्री का काम करने लगते है तो कभी दीपावली के समय दीपावली उत्सव से जुडी वस्तुओ की बिक्री करने लगते है। यह सभी कुछ देखकर राधा लम्बी सोच में पड़ गयी और अपनी माता के साथ घर की ओर चल पड़ी।
अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाते त्यौहार Economy Ko Gatimaan Banate Tyohar |
अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाते त्यौहार
घर पहुंचने के साथ ही राधा ने अपनी माता से सवालो को पूछना शुरू किया और उसका पहला ही सवाल था कि आज जहा से उन्होंने खरीदी की थी वह लोग समय के साथ अपने व्यापर को बदल क्यों लेते है? तब राधा की माता जवाब देती है कि ऐसे सभी व्यापारी सीजनल व्यवसायी होते है। सीजनल व्यवसायी वह होते है जो एक प्रकार का व्यापर ना करते हुए त्यौहार के आधार पर अपना व्यापर करते है। जैसे होली के समय पर रंग और पिचकारी बेचने का व्यापर करते है तो रक्षाबंधन पर राखी और उससे जुड़ी वस्तुओ का व्यापर करने लगते है। जैसा त्यौहार होता है वे लोग उससे जुड़ी वातुओ का व्यापार करने लगते है।
राधा अपने अगले प्रश्न में पूछती है कि क्या हमारे त्यौहार इतने बड़े स्तर पर मनाये जाते है जिससे इतने सरे लोगो को फायदा होता है? तब राधा की माता कहती है भारत त्योहारों का देश है राधा, और त्यौहार अर्थव्यवस्था को चलने में बड़े मदगार होते है। भारत में ऐसे कोई त्यौहार नहीं है जिससे किसी का भी आर्थिक हित ना जुड़ा हुआ हो। एक छोटे से तिथि के त्यौहार से लेकर तो पूरे भारत में मनाये जाने वाले त्यौहार तक सभी में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का काम होता है।
आप जो भी कह रही है उससे ओर खुल कर बताओ ना माँ- राधा कहती है, तब राधा की माता आगे बोलती है जैसे अब बताओ कोनसा त्यौहार आने वाला है राधा, राधा थोड़ा सोचती यही झट से कहती है कि अभी तो रक्षाबंधन आने वाला है, लेकिन रक्षाबंधन का इससे क्या मेल है, तब माँ कहती है कि क्या तुमने बारह महीने राखी की दुकान बाजार में देखि है राधा, राधा ना में सर हिलाते हुए कहती है नहीं, तो क्या तुमने रक्षाबंधन के समय मिलने वाली मिठाई और अन्य वस्तुओ राखी के त्यौहार के अलावा दूसरे समय पर देखी है? राधा को अब धीरे धीरे माँ की बातें समझ आ रही थी, जिससे राधा का उत्साह और बढ़ रहा था।
राधा की माँ आगे कहती है क्या तुम्हे पता है राधा हर वर्ष Rakshabandhan पर होने वाली खरीदी बिक्री में लगातार १००० करोड़ की बढ़ोतरी हो रही है। और इस वर्ष रक्षाबंधन पर ८००० करोड़ का कारोबार होने की सम्भावना देखी जा रही है। इसी प्रकार से आने वाले सभी त्योहारों में अर्थतंत्र के क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
राधा हैरानी से आगे पूछती है कि तोह क्या यदि त्यौहार ना होते तो फिर हम बाजार से खरीदी कैसे और कब करते है। इस पर राधा की माँ आगे कहती है सामान्य रूप से आवश्यक वस्तुओ की खरीदी बिक्री से बढ़ने वाले economy के भीतर त्यौहार एक प्रकार से बूस्टर का काम करते है। जब जब त्यौहार आते है तब तब बाजार में सामान्य खरीदी के साथ साथ विशेष खरीदी बिक्री भी बाद जाती है।
जैसे हमने भी पिछली दीपावली पर घर के लिए एक फ्रीज और माइक्रोवेव ख़रीदा था। त्यौहार के समय पर निरंतर बिकने वाली आवश्यक वस्तुओ के साथ विशेष प्रबोधन के वस्तुओ पर विशेष छूट मिलती है जिससे उनकी बिक्री में बढ़ोतरी के साथ ही अर्थव्यवस्था में भी बढ़ोतरी होने लगती है। और त्यौहार में उपयोग होने वाली वस्तुओ की बिक्री के चलते अन्य लोगो को रोजगार भी मिलने लगता है।
ऐसे ही त्यौहार से जुड़े आर्थिक विषय के बारे में समय समय मै तुम्हे पर भी बातें बताती रहूगी, लेकिन अभी शाम के खाने का समय हो गया है बाकि जो भी नयी बातें तुम्हे पूछना है तुम अपने पिताजी से करना वह भी और अनेक जानकारी तुम्हे बताएंगे, चलो अब कल स्कूल भी जाना है तो अब पढाई के लिए बैठो में भी अब खाने के तयारी करती हूँ।
इतना कहकर राधा की माता अपने काम में लग जाती है और राधा भी अपनी पढाई के लिए बैठ जाती है लेकिन राधा के मन में बार बार त्योहारों को लेकर उत्साह बढ़ रहा है और उसने अपनी माता से आगे भी जानने की इक्छा की है। माँ के आश्वासन के बाद राधा भी अपने काम में लग जाती है।
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