राधा आज सुबह से ही उत्साह के अपनी माता के छोटे - छोटे कामो में Haat Bazaar जा रही हैं। रविवार की शाम को उसके पिताजी के देर से आने के चलते बचत वाला अध्याय अभी बाकि ही हैं किन्तु राधा आज अपनी माता के साथ साप्ताहिक लगाने वाले Haat Bazaar में जाने के लिए तैयारी कर रही हैं।  राधा को Haat Bazaar जाने में बहुत आनंद होता हैं। राधा की माता भी सप्ताह में उपयोग होने वाली अधिकांश वस्तुओ की खरीदी साप्ताहिक Haat Bazaar से ही करती हैं।

 


हाट बाजार में रसोई घर में उपयोग होने वाली वस्तुओ की भरमार थी। रसोई में उपयोग होने वाले सभी प्रकार के मसाले जैसे लौंग, इलायची , सोंठ , लाल मिर्च , हल्दी, धनिया आदि सभी प्रकार के गरम मसाले के साथ ही विशेष समय उपयोग में आने वाली वस्तुओ को भी रखा जाता हैं। इसके अलावा दलहन के अंतर्गत आने वाली दाले जिसमे अरहर, मूंग , चना , मसूर , उड़द जैसी सभी दालें हाट बाजार में सरलता से मिल जाती हैं।
साप्ताहिक हाट बाजार और स्थानीय अर्थतंत्र | Haat Bazaar Aur Sthaniya Arthatantra | Local Market And Its Economy 



Haat Bazaar Aur Sthaniya Arthatantra


दोपहर के भोजन के बाद कुछ समय आराम पूरा करते हुए राधा की माता राधा को Haat Bazaar में ले जाने के लिए तैयार करती हुयी पूछती की आज राधा को Haat Bazaar में क्या खरीदना हैं। Haat Bazaar में आस पास के गॉव से मिट्टी और लकड़ी के खिलोने बेचने वाले भी आते हैं, बस उन्ही का ध्यान करते हुए राधा की माता राधा से सामान्य प्रश्न कर रही हैं। माता का प्रश्न सुन  कहती अब  बचत करने का प्रयास कर रही हूँ माँ। 


What Is The Concept Of Haat Bazaar ?


और इतनी बात पूरी होने तक राधा और उसकी माता Haat Bazaar के लिए तैयार हो चुके होते हैं। Haat Bazaar घर के पास ही हैं, कुछ ही समय में घर से Haat Bazaar के स्थान पर पहुंच जा सकता हैं। राधा के घर के पास लगाने वाला Haat Bazaar सप्ताह में एक बार लगता हैं। जिसके कारण Haat Bazaar का स्वरुप अत्यंत विशाल होता हैं। सामान्य बातचीत करते हुए पैदल ही राधा और उसकी माता Haat Bazaar में पहुंच जाते हैं। Haat Bazaar में पहुंचते ही राधा का चेहरा खिल जाता हैं। क्योकि उसे वहा पर बहुत आनंद आता हैं।  


Haat Bazaar में पहुंचने के साथ ही राधा की माता अपने साथ लायी खरीदी के सामान सूची निकलती हुए राधा से कहती हैं कि पहले हम घर के उपयोग में आने वाले सामान की खरीदी करेंगे और उसके बाद तुम्हारी पसंद की चीजों को देखेंगे। राधा को बचत की बात तुरंत ध्यान आगया और राधा ने हामी भर ली। 


What Kind Of Goods Found In Haat Bazaar ?


Haat Bazaar में रसोई घर में उपयोग होने वाली वस्तुओ की भरमार थी। रसोई में उपयोग होने वाले सभी प्रकार के मसाले जैसे लौंग, इलायची , सोंठ , लाल मिर्च , हल्दी, धनिया आदि सभी प्रकार के गरम मसाले के साथ ही विशेष समय उपयोग में आने वाली वस्तुओ को भी रखा जाता हैं। इसके अलावा दलहन के अंतर्गत आने वाली दाले जिसमे अरहर, मूंग , चना , मसूर , उड़द जैसी सभी दालें Haat Bazaar में सरलता से मिल जाती हैं। 


बाजार में किस तरह के सामान मिलते हैं ?


इसी के साथ Haat Bazaar में ताजा हरी सब्जिया भी सरलता से मिल जाती हैं। राधा की माता ने सबसे पहले सब्जियों की खरीदारी की एवं उसके बाद दाल और मसाले ख़रीदे। राधा अपनी माता को खरीदारी करते हुए लगातार देख रही थी। राधा अनुभव कर रही थी कि उसकी माता किस प्रकार से Haat Bazaar में एक जैसे सामान की हर एक दुकान पर जाकर वस्तुओं के मूल्य की जानकारी लेटर हैं और साथ खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता भी जांचती हैं। राधा को यह पहली बार अनुभव हो रहा था कि सामान्य सी दिखने वाली उसकी माता अपने घर के लिए कितनी जिम्मेदारी से हर एक काम को पूरा करती हैं। 


कुछ सामान की खरीदी करना बाकी हैं, लेकिन अब बाजार में अनेक खाने की वस्तुओ को देखकर राधा का मन ललचाने लगा हैं। एक दुकान पर बैठकर राधा और उसकी माता हल्का नाश्ता करने के लिए बैठे हैं और राधा देखती हैं कि माँ ने अभी तक की गयी खरीदी का हिसाब लगाना शुरू  कर दिया। लेकिन राधा कुछ पूछती उससे पहले माँ कहती हैं अभी कोई भी प्रश्न की जरुरत नहीं हैं। सभी खरीदी के बाद जब हम घर पहुचेगे तब विस्तार से बात करना। और यह सुन राधा धीरे से सर हिलाकर हामी भर देती हैं। 


नाश्ते के बाद बाकि की खरीदारी भी पूरी कर ली गयी हैं लेकिन घर वापस जाते समय सामान अधिक हैं जिसके लिए पैदल जा पाना मुश्किल हैं। लेकिन राधा की माता समय देखती और उन्हें याद आता हैं कि राधा के पिताजी के घर आने का समय भी लगभग हो गया हैं। और माँ शीघ्र राधा के पिता को फ़ोन कर हाट बाजार की और से आने के लिए कह देती हैं। राधा भी पिताजी के आने का सुन कर प्रसंन्न हो जाती हैं। और राधा अपने माता पिता के घर पहुंच जातें हैं। 


आज Haat Bazaar में राधा ने अपनी माता को पूरा सहयोग किया। सामान की खरीदारी से लेकर सामान को उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के लिए राधा ने अच्छी म्हणत की। जिसके लिए माँ ने राधा को बिना बताये एक खिलौना खरीद लिया था जो की राधा को घर आकर दिया गया। खिलोने को देखकर राधा अधिक ख़ुशी के साथ खेलने और भोजन की तयारी के बाद सभी ने साथ मिलकर भोजन किया। प्रतिदिन की तरह ही राधा के पिता अपने जरुरी काम के लिए अपने कमरे में चले गए और राधा और उसकी माता हाट बाजार से की गयी खरीदी का हिसाब लगाने लगे।