साहस, धैर्य और विनम्रता रोजगार का आधार


किसी भी प्रकार के स्वरोजगार अथवा रोजगार को प्रारंभ करने के लिए एक उद्यमी को साहस और धैर्य की आवश्यकता होती है। साहस और धैर्य के बिना रोजगार स्थापित नहीं किया जा सकता है। रोजगार स्थापित करने के लिए जो भी निर्णय लिया जाता है उसके लिए साहस होना आवश्यक होता है और साहसपूर्ण निर्णय के बाद उसके परिणाम आने तक धैर्य पूर्वक अपने रोजगार को चलायमान रखते हुए, आगे बढ़ते रहना आवश्यक है।




साहसपूर्ण धैर्य और भाषा की विनम्रता रोजगार के लिए शक्ति के समान कार्य करते है। और जो भी उद्यमी इन गुणों को धारण कर रोजगार के काम लगता है, उसे रोजगार स्थापित करने में सरलता होती है।


जब उद्यमी यह निर्णय करता है कि उसे किस प्रकार का उद्यम या रोजगार या स्वरोजगार स्थापित करना है। तब सर्वप्रथम उद्यमी को साहस की आवश्यकता होती है। साहस के साथ किया गया निर्णय सफलता की ओर लेकर जाता है। उद्यमी के द्वारा रोजगार के संबंध में जब किसी भी व्यवहारी से चर्चा होती है तो उद्यमी को अपनी बात सभी के सामने साहस के साथ रखने की आवश्यकता होती है। जब उद्यमी साहस के साथ अपनी बातो को सभी के सामने रखता है तो उसके प्रति अन्य व्यवहारीयों को विश्वसनीयता का भाव जागृत होता है, तथा आगे जाकर यह विश्वशनीयता ही सिद्धता में बदलती है और रोजगार को स्थापित करती है।




साहस पूर्वक अपनी बात रखने के बाद सामने वाले व्यवहारी की बातों को भी धैर्य के साथ सुनना और उन बातों पर विचार कर विनम्रता पूर्वक उनके प्रश्नों को समाधान करना एक उद्यमी के लिए प्रमुख गुण है। साहस, धैर्य और विनम्रता रोजगार को स्थापित करने में उसकी शक्ति के समान काआम करते है। जिससे की रोजगार को लम्बे समय तक चलाया जा सकें। एक रोजगार स्थापित करने वाले उद्यमी को इन तीनों शक्ति को गुणों के रूप में आत्मसात करने की आवश्यकता होती है जिसके कारण उद्यमी अपने रोजगार को सफलता पूर्वक स्थापित कर सकता है।