आसानी से महाकाल दर्शन करे


यदि दिसंबर की छुट्टियों में आप भी उज्जैन mahakal darshan की योजना बना रहे हैं, तो यहां mahakal darshan से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी साझा की जा रही है। Ujjain mahakal madir darshan के लिए बाहर से आने वाले सभी दर्शन करने वाले लोगों के लिए दर्शन की व्यवस्था बहुत बेहतर ढंग से की गई है। यदि आप ट्रेन से ujjain पहुंच रहे हैं, तो यहां आपके लिए जो जानकारी बताई जा रही है, वह आपको mahakal darshan के लिए मदद कर सकती है। दिसंबर के छुट्टियों में मध्य प्रदेश के मालवा के क्षेत्र बहुत ही सुलभ स्थानों में से एक हैं। दिसंबर में क्रिसमस से लेकर नई ईयर तक की छुट्टियों में ujjain mahakal mandir में दर्शन करने वाले यात्री बड़ी संख्या में mahakal में पधारते हैं। न्यू  ईयर पर mahakal darshan के लिए आने वाले यात्रीयो से उज्जैन और  क्षेत्र में व्यापारी गतिविधियों में तेजी आ जाती हैं। 



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Asaani Se Mahakal Darshan Kare


Mahakal Darshan के लिए ट्रेन से आने वाले लोगों के लिए सबसे बेहतर यही होगा कि रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के साथ ही mahakal mandir तक पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े ऑटो रिक्शा या फिर ई रिक्शा मदरसे न्यूनतम किराए में mahakal lok के मुख्य द्वार तक जाया जा सकता है। यदि दर्शन करने वाले यात्री पूरी रात का ट्रेन का सफ़र करके mahakal darshan के लिए आ रहे हैं तो mahakal mandir के आस पास बनी छोटी होटल और गेस्ट हाउस में न्यूनतम किराये में अपनी दैनिक दिनचर्या को पूरा कर स्नान आदि के बाद mahakal darshan के लिए जा सकते हैं।

Ujjain Mahakal Mandir में सामान्य  के लिए सभी दर्शार्थियो को मानसरोवर हाल से होते हुए कार्तिक मंडप और गणेश मंडप से Mahakaleshwar jyotirlinga के दर्शन का लाभ मिलता हैं। मानसरोवर हाल का आकार बहुत ही बड़ा हैं। इस हाल में एक बार में 15000 से अधिक दर्शनार्थी रूक  सकते हैं। 


मानसरोवर हाल फेसिलिटी सेंटर के भूतल पर स्थित हैं। फेसिलिटी सेंटर में दर्शार्थियो को अपने बैग मोबाइल आदि सभी सामान रखने के लिए लाकर सुविधा भी दी जाती हैं। फेसिलिटी सेंटर स्थित मानसरोवर हाल तक पहुंचने के दो मुख्य रास्ते हैं। पहला रास्ता हैं mahakal lok के मुख्यद्वार जिसे नंदी द्वार कहा जाता हैं, जो की रेलवे स्टेशन से मात्र 10 मिनट की दूरी पर हैं।


नदीद्वार तक पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन से हरिफाटक ब्रिज से होते हुए सीधे mahakal lok के मुख्य द्वार पर पहुंच सकते हैं। Mahakal Lok के भीतर से ही महाकाल दर्शन के लिए फैसिलिटी सेंटर के दर्शार्थियो की लाइन शुरू हो जाती हैं। जो सीधे मानसरोवर हाल तक पहुंचकर mahakal mandir के भीतर कार्तिक मंडप और गणेश मंडप तक जाती हैं। जहा से mahakaleshwar jyotirlinga के दर्शन होते हैं। 


Mahakal Lok के अलावा एक रास्ता और हैं जहा से भी फेसिलिटी सेंटर तक आसानी से पंहुचा जा सकता हैं। Mahakal Mandir के पास भारत माता मंदिर के सामने की ओर से एक रास्ता और हैं, जो छोटा रास्ता हैं और जहा तक सभी प्रकार वहां भी आसानी से पहुंच सकते हैं। Bharar Mata Mandir के पास एक पार्किंग बानी हैं। जहा पर वहां खड़े किये जा सकते है।


भारत माता मंदिर पार्किंग के पास से mahakal mandir प्रशासनिक कार्यालय के सामने की ओर से एक रास्ता निचे मानसरोवर हाल के लिए जाता हैं। जिन दर्शनार्थियों को सीधे mahakal darshan के लिए जान रहता है। वे इस छोटे रास्ते का प्रयोग कर सकते हैं।


भारत माता मंदिर पार्किंग के आस पास बहुत सरे छोटे लॉज और होटल भी स्थित हैं। जहा न्यूनतम शुल्क में रुक सकते हैं। रेलवे स्टेशन से mahakal mandir पहुंचने के लिए देवास गेट से मालीपुरा होते हुए भी एक रास्ता हैं, जो सीधे mahakaleshwar jyotirlinga तक पहुँचता हैं। दर्शार्थी इस रास्ते का प्रयोग करते हैं। 


Ujjain Mahakal Mandir में mahakaleshwar jyotirlinga की 5 आरती होती हैं। जिस समय पर दर्शन की कतार धीरे धीरे आगे बढती रहती हैं। आरती के समय पर दर्शन के लिए पहुंचने वाले दर्शनार्थी mahakal के दिव्य darshan का लाभ ले सकते हैं। सुबह होने वाली भस्मारती और रात्रि में होने वाली शयन आरती के समय भगवन के दिव्या स्वरुप का दर्शन भी सभी को होता हैं।


बहार से आने वाले दर्शनर्थियो को काम से काम एक बार किसी ना किसी आरती में शामिल होकर भगवन  के दिव्य स्वरुप का दर्शन अवश्य करना चाहिए। उज्जैन महाकाल मंदिर केवल एक मात्रा ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं जहा भस्मआरती भी होती हैं। mahakaleshwar jyotirlinga के दर्शन के लिए लाखो श्रद्धालु आते हैं और भगवान् का दर्शन लाभ लेकर स्वयं को धन्य करते हैं। बाबा महाकाल के दर्शन के साथ ही दर्शार्थियो को माता हरसिद्धि शक्तिपीठ के दर्शन भी सभी को एक बार जरुर करना चाहिए।


माता Harsiddhi भारत के महान सम्राट विक्रमादित्य की कुल देवी भी है। माता Harsiddhiमंदिर के भीतर विशाल दीपमालिकाये स्थापित हैं। जिसे प्रतिदिन शाम की आरती के समय प्रज्वलित किया जाता हैं। माता हरसिद्धि शक्तिपीठ के पीछे की ओर ही माता क्षिप्रा नदी स्थित हैं। माता शिप्रा के पवन घाट पर हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन दीपोत्सव का योजन किया जाता है।