इस रक्षाबंधन अपने ही बंधू-भगिनी को व्यापार का लाभ हो।




वर्षा ऋतु के साथ ही श्रावण मास भी प्रारंभ हो गया है, इसी के साथ उत्सवों की श्रृंखला भी प्रारंभ हो रही है, श्रावण के तीस दिवस भी हमारे द्वारा अनेक वस्तुओं का प्रयोग किया जाने वाला है। जिसमें भगवान को भोग आदि में उपयोग की जाने वाली खाद्य सामग्रियों के साथ ही भगवान की पूजा-पाठ के सामान आदि भी शामिल है। हमारा प्रयास यही रहना चाहिए कि अधिक से अधिक हम स्वदेशी वस्तुएं एवं खाद्य सामग्री का प्रयोग करें, जिससे उत्पादन एवं निर्माण आदि सभी कुछ स्वदेशी लोगों के द्वारा किया गया हो , जिसके निर्माण एवं उत्पादन में भगवान में आस्था रखने वाले लोगों के द्वारा किया गया हो। 

              इसी के साथ श्रावण मास की पूर्णिमा को 11 अगस्त के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार भी है। रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के लिए रक्षा सूत्र, राखी और मुख्यतः मिठाइयों का उपयोग करें। तथा यह सभी कुछ वहां से ही क्रय करने का प्रयास करें जहां हमारी आस्था के साथ  त्योहार को मनाने वाले हो। भौतिकता के इस समय मे बाजारवाद के षड्यंत्र से सावधान रहने की भी आवश्यकता है। भ्रामक विज्ञापन आदि से प्रेरित होकर अन्य वस्तुओं के उपयोग से बचने का प्रयास करें। अपनों का मुंह मीठा करने के लिए मिठाई आदि वस्तुओं का क्रय अपने आसपास की दुकानों से करने का मन बनाएं तथा दूसरों को भी स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग के लिए प्रेरित करें। इसके पश्चात राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस भी आने वाला है, भारत वर्ष अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण कर रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए 'हर घर तिरंगा' संकल्प के साथ हर घर पर तिरंगा लगाने का संकल्प लिया जा रहा है।

             जन्माष्टमी भी इसी क्रम में आने वाली है उस पर हमें ज्ञात रहे कि अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाए। गणेशोत्सव तथा श्राद्ध पक्ष के साथ नवरात्रि, दशहरा आदि तथा इसके बाद एक और राष्ट्रीय पर्व दिपावली भी इसी क्रम में आने को है। स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से एक लाभ यह भी होगा कि जिन्होंने स्वरोजगार के उपक्रम प्रारंभ किया है उन्हे भी इसका लाभ मिल सकेगा। 

              आत्मनिर्भरता के यज्ञ में हमारी ओर से इसे ही आहुति मान हम भी आने वाले त्योहारों मे स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का प्रण लें।