ज भी विभाजन का दंश झेल रहा हिंदू समाज



राधा १५ अगस्त स्वतंत्र दिवस की तैयारी में लगी हुयी है। अपनी माँ के साथ बाजार से जो खरीदी की थी, उस सामान से स्वतंत्रता दिवस की तैयारी कर रही है। इसी बीच राधा की माता अपने कामो को पूरा कर राधा की मदद के लिए आ जाती है। माँ को देखते ही राधा स्वतंत्र दिवस से जुडी बातें करने लगती है। और उसका पहला ही प्रश्न होता है कि हमारे साथ ही अपने पडोसी देश पकिस्तान को भी स्वतंत्रता मिली थी, तो क्या वहां भी १५ अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है?

Horrors Remembrance Phase By Pakistani Hindus
Horrors Remembrance Phase By Pakistani Hindus

Partition Horrors Remembrance Phase By Pakistani Hindus

विभाजन का दंश झेल रहा हिंदू समाज

इस पर राधा की माता जवाब देते हुए कहती है कि राधा पाकिस्तान और बांग्लादेश, भारत के ही हिस्से है। १५ अगस्त १९४७ के पहले तक पकिस्तान और बांग्लादेश नहीं थे। वह तो भारत के विभाजन के बाद भारत के ही भाग को बांटकर बनाये हुए देश है। इतने में राधा कहती है, तो क्या स्वतंत्रता के पहले भारत इतना विशाल देश था मां? माँ, हाँ में सिर हिलाते हुए जवाब देती है।

 विभाजन के कारण भारत को बहुत सी हानियों का सामना करना पड़ा था, राधा। माँ, राधा को कहती है। और उस विभाजन की पीड़ा को पकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दू और अन्य सभी गैर इस्लमिक लोग आज भी भुगत रहे वह कैसे माँ? राधा आगे पूछती तो सुनो राधा - भारत अपने स्वतंत्र के 77 वर्ष पूरे करने के साथ ही अमृत काल में प्रवेश कर चुका है।

किन्तु १५ अगस्त स्वतंत्र दिवस के साथ ही १४ अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, विभाजन के समय हुयी हिंसक घटनाओ और अत्याचारों को सभी के सामने प्रकट कर रहा है| विभाजन के समय से लेकर वर्तमान में भी पकिस्तान और बांग्लादेश में बसे हिन्दू समाज को विभाजन का दंश झेलना पड़ रहा है। पकिस्तान में रहने वाले हिन्दूओं पर स्वतंत्रता और विभाजन के वर्षो बाद भी आज तक लगातार किसी ना किसी रूप में अत्याचार हो रहे है।

पकिस्तान के द्वारा विभाजन के बाद ही स्वयं को इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया था, जिसके चलते वहा के हिन्दूओं सहित सभी गैर इस्लामिक लोगो को अल्पसंख्यक बनकर रहना पड़ रहा है। पाकिस्तान में इस्लाम को आधार मानकर संविधान का निर्माण किया गया है। जिसके कारण ईशनिंदा को संवैधानिक मान्यता मिली हुयी हैं। इसी ईशनिंदा कानून के चलते वह निवास करने वाले हिन्दुओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार किये जाते है। जिसके कारण पाकिस्तान में विभाजन के बाद से लगातार हिन्दूओं की संख्या में कमी होती जा रही है|

वर्ष १९४७ में विभाजन के समय पकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या लगभग २४% थी, किन्तु वर्तमान में वहा हिन्दूओं की संख्या 2% पर पहुंच चुकी है। पकिस्तान में रहने वाले अधिकांश हिन्दूओं को जबरन धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर करते हुए, उन्हें धर्मांतरित किया गया। जिनके द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन को स्वीकार नहीं किया गया। उनकी हत्या करने के भी अनेक मामले सामने आये है। हिन्दू परिवारों की महिलाओं के साथ भी लगातार दुर्व्यवहार और उन पर अत्याचार करने की खबरे आये दिन आती रहती है।

हिन्दू महिलाओं को जबरन उनके घरो से उठाकर ले जाना और उनके साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध करने के साथ ही उनका जबरन धर्म परिवर्तन करते हुए उन्हें मुसलमान बनाने जैसी अनेक घटनाओं को पकिस्तान में रहने वाले हिन्दू परिवार विभाजन से लेकर आज तक भोग रहे है। भारत के विभाजन की इस पीड़ा को कहने वाला कोई नहीं है। यह एक उदाहरण भी है कि किस प्रकार से किसी स्थान पर इस्लाम को मानने वालो का अधिकार होने पर बाकि अन्य धर्म के लोगो का रहना बहुत मुश्किल हो जाता है।

ऐसा नहीं है कि केवल वर्तमान पाकिस्तान में ही हिन्दूओं की स्थिति ठीक नहीं है, बल्कि वर्तमान बांग्लादेश और उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में भी हिन्दुओ को विकट स्थिति में ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। पाकिस्तान की ही तरह से बांग्लादेश में भी हिन्दू बस्तिओ में आग लगाना और हिन्दू परिवारों की महिलाओ के साथ दुर्व्यवहार की अनेको घटनाए आये दिन होती रहती है। विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में लगातार हिन्दूओं पर अत्याचारर हो रहे है। जिनकी सुध लेने वाला वहा कोई नहीं है।

पकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दूओं पर होने वाले अत्याचारों के बढ़ने में स्थानीय प्रशासन का बहुत बड़ा सहयोग रहता है। जब भी किसी हिन्दू परिवार की किसी महिला या लड़की के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। तब पाकिस्तान का स्थानीय प्रशासन भी घटनाओं को दबाने का काम करता है और हिन्दू परिवारों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं होता है। छोटी छोटी हिन्दू बालिकाओ को भी अपना शिकार बनाने का काम किया जाता है। जिसके प्रति सभी को आवाज उठाने की आवश्यकता है।

विभाजन के इतने समय के बाद भी पकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दूओं सहित सभी गैर इस्लामिक धर्म के लोगो को सुरक्षा प्रदान ना करते हुए। उन्हें केवल स्वयं के हालात के भरोसे पर छोड़ दिया गया है। यह भी विभाजन की विभीषिका को परिभाषित करने का काम कर रहा है। ऐसी ही अनेक विभीषिका विभाजन से लेकर वर्तमान में भी हमें लगातार देखने के लिए मिल रही है। जिसके बारे चर्चा करना हमारा नैतिक दायित्व बनता है।

राधा यह सब सुनकर दुखी हो जाती है और उसे विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का महत्व भी समझ आता है।