Hindi Sabhi Local Language Ke Sath Aage Badhe Yahi Lakshya
हिंदी स्थानीय भाषाओं की सखी बने यही लक्ष्य
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों बाद यह जरूरी है कि देश का शासन देश की भाषा में चले। उन्होंने कहा कि हमें इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है कि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी बने और इसकी किसी से कोई स्पर्धा न हो।
75 वर्षों से हम राजभाषा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे
केंद्रीय गृह मंत्री सोमवार को यहां सर्वसम्मति
से दोबारा संसदीय राजभाषा समिति का अध्यक्ष चुने जाने के बाद बोल रहे थे। नई सरकार
के गठन के बाद संसदीय राजभाषा समिति के पुनर्गठन के लिए सोमवार को यहां समिति की
बैठक हुई, जिसमें शाह को अध्यक्ष चुना गया। वह 2019 से 2024 के
दौरान भी समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों से हम
राजभाषा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
भारत की स्थानीय भाषाओं से हजारों शब्द हिंदी में जोड़ने का काम
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी
स्थानीय भाषा के बोलने वालों के मन में हीनभावना न आए और हिंदी सामान्य रूप से
सर्वसम्मति व सहमति से कामकाज की भाषा के रूप में स्वीकृत हो। केंद्रीय गृह मंत्री
ने कहा कि हमने शब्दकोश का निर्माण किया और शिक्षा विभाग को साथ लेकर भारत की
स्थानीय भाषाओं से हजारों शब्द हिंदी में जोड़ने का काम किया।
सभी भाषाओं का अपने आप तकनीकी आधार पर अनुवाद
कई ऐसे प्रशासनिक शब्द थे जिनका पर्याय हिंदी
में उपलब्ध नहीं था, हमने
अन्य भाषाओं से अनेक शब्दों को स्वीकार कर न सिर्फ हिंदी को समृद्ध किया और इसे
लचीली बनाया बल्कि उस भाषा और हिंदी के बीच के रिश्ते को भी मजबूत करने का काम
किया है। उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग इस प्रकार का सॉफ्टवेयर बना रहा है जिससे
आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं का अपने आप तकनीकी आधार पर अनुवाद हो जाए।
विगत 5 साल में बहुत मेहनत हुई है
बकौल शाह, अनुवाद का कार्य पूरा हो जाने पर हमारे कामकाज में हिंदी की बहुत तेज
गति से स्वीकृति और विकास होगा। उन्होंने कहा कि विगत 5 साल में हमने बहुत परिश्रम
कर समिति के प्रतिवेदन के तीन बड़े खंड राष्ट्रपति जी को दिए हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ है। गृह मंत्री
ने कहा कि हमें इस गति को बरकरार रखना है।
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