समानता के पथप्रदर्शक युग दृष्टा ‘श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी’
समानता के पथप्रदर्शक युग दृष्टा ‘श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी’


समानता के पथप्रदर्शक युग दृष्टा ‘श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी’

समाज के भीतर सामाजिक समानता के साथ-साथ आर्थिक समानता का होना भी आवश्यक है। समाज मे धनवान और निर्धन के मध्य का अंतर इतना भी नहीं हो कि धनवान बाजार मे उपलब्ध सभी कुछ खरीद सके और निर्धन कुछ क्रय ही ना कर पाये। यदि एसा होता है तो समाज के भीतर विखंडन होना निश्चित है। 

इसी बात को ध्यान मे रखते हुये भारत के महान समाजसुधारक और क्रांतिकारी श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के द्वारा भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात अंत्योदय को ध्यान मे रखते हुये समाज के बीच मे कार्य करना प्रारम्भ किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत मे औद्योगीकरण तेजी से बढ़ रहा था। 

उद्योग किसी भी देश रीढ़ के समान होते है। जिनके द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है। स्वतन्त्रता के ठीक बाद उद्योगिक क्षेत्र मे बड़ी मात्रा मे श्रमिक वर्ग कि आवश्यकता थी, किन्तु श्रमिकों के हितो को भी सुरक्षित रखने की जरूरत थी। इसी को ध्यान मे रखते हुये श्री ठेंगड़ी जी द्वारा वर्ष 1955 मे भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की गयी। 

भारतीय मजदूर संघ का मुख्य उदेश्य उनके इस नारे से झलकता है। जिसमे कहां गया कि ‘राष्ट्रहित मे करेगे काम, मजदूरी का लेंगे पूरा दाम’, यह नारा ठेंगड़ी जी के अंत्योदय के प्रति सहानुभूति और संकल्प को प्रदर्शित करता है, साथ ही उनके राष्ट्र के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है। 

ठेंगड़ी जी का मानना था कि देश कि उद्योग नीति और श्रम नीति एसी बने, जिसमे राष्ट्र का ‘औद्योगीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण, उद्योगो का श्रमिकीकरण’ हो सके। उद्योगो के भीतर श्रमिकों को उनके श्रम के अनुरूप उचित वेतन का भुगतान हो और उनकी पर्याप्त सुविधाओ का ध्यान रखा जाये, उद्योगो के भीतर श्रमिको का शोषण पूरी तरह से समाप्त हो सके। श्रमिकों को उचित सुवधाओ के साथ उचित सम्मान मिले, जिससे औद्योगिक विकास के साथ राष्ट्र निर्माण भी हो सके। 

ठेंगड़ी जी का मानना था कि भारत को साम्यवाद और पूंजीवाद से भिन्न किसी तीसरे रास्ते पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। जिसके मूल मे उन्होने ‘एकात्म मानव दर्शन’ को रखा। एकात्म मानव दर्शन अर्थात अंत्योदय के लक्ष्य को ध्यान मे ध्यान मे रखते हुये आगे बढ़ना। जिसका मूल उदेश्य यही है कि समाज के अंतिम व्यक्ति को ध्यान मे रखते हुये, उसके जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन को लक्ष्य मानते हुये काम करना। 

इसी एकात्म मानव दर्शन को ध्यान मे रखते हुये ठेंगड़ी जी के द्वारा वर्ष 1979 मे भारतीय किसान संघ, वर्ष 1983 मे सामाजिक समरसता मंच एवं वर्ष 1991 मे स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनो की स्थापना की गयी। यह सभी संगठन समाज के अंतिम व्यक्ति तक सीधे अपनी पहुच रखने मे सक्षम है। भारतीय किसान संगठन ग्रामीण मजदूरो और छोटे किसानो को साथ मे रख उनके उत्थान और समृद्दि के लिए काम करता है। 

सामाजिक समसता मंच समाज के भीतर व्याप्त सभी प्रकार की कुरीतियो और अवेध विभन्नताऑ को समाप्त कर समाज के भीतर एकरूपता लाने का कार्य करता है, तो स्वदेशी जागरण मंच किसानो और मजदूरो के द्वारा उत्पादित वस्तुओ के उपयोग हेतु समाज को प्रेरित करने का काम करते है। 

ठेंगड़ी जी दूर-द्रष्टा भी थे। उनके द्वारा वित्तीय क्षेत्र को ध्यान मे रखते तब की वर्तमान सरकारो को भी अनेक सुझाव दिये गए जिसमे मुख्य सुझाव था जिसमे उन्होने वर्ष 1971 मे ‘स्वायत्ता वित्तीय निगम’ स्थापित करने की बात कही थी, उनके द्वारा दिये उस समय के सुझाव को भारत की वर्तमान सरकार के द्वारा वर्ष 2016, फरवरी माह मे ‘बैंक बोर्ड ब्यूरो’ की स्थापना की है, जो बैंकिंग क्षेत्र मे प्रबंध के लिए एक स्वायत्त प्रबंधन संस्थान है। एसे ही अनेक राष्ट्रहित के कार्य है जो श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी को राष्ट्र-ऋषि के रूप मे स्थापित करने का काम करते है।