विकास के मार्ग में सदैव अवरोधक बनता रहा है मजहबी कट्टरतावाद Vikas Ke Marg Me Avrodhak Majahabi Kattarwad
विकास के मार्ग में सदैव अवरोधक बनता रहा है मजहबी कट्टरतावाद Vikas Ke Marg Me Avrodhak Majahabi Kattarwad


विकास के मार्ग में सदैव अवरोधक बनता रहा है मजहबी कट्टरतावाद


भारत में आज अहर्निश विकास का रथ बढ़ रहा है I कुछ दिवस पूर्व ही भारत 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था भी बन चुका है और आने वाले दिनों में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सबसे बड़ी विपणी बनने की ओर अग्रसर है I अंतरराष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर भारत विकास के नवकिर्तिमान रचते हुए उन्नति के पथ पर आगे बढ़ रहा है I लेकिन भारत के इस विकास को आज एक सघन संकट भी है, जो एक चिंतनीय विषय है I वह संकट है मजहबी कट्टरवाद I यह एक ऐसी मानसिकता है जो दशकों से निर्मित आधुनिक भारत के विकास के कीर्तिमान की अट्टालिकाओं को क्षण भर में ध्वस्त करने की क्षमता रखती है I भारत के बाहर भी जहाँ-जहाँ यह कट्टरवाद पहुंचा है, वहां विकास का विनाश हो चुका है I इस मजहबी बौद्धिक बल के कारण जनजीवन तो प्रभावित होता है साथ ही देश का अस्तित्व भी संकट में आने की संभावनाएं प्रबल होती है I


सर्वप्रथम यह विदित होना चाहिए कि विकास मात्र चौड़ी सड़कें, ऊँची इमारतें, विस्मयकारी संरचनाएं ही नहीं होता, बल्कि विकास नागरिकों की सार्वजनिक और व्यक्तिगत मूलभूत सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप में हुआ संवर्धन भी होता है I कला और विज्ञान के सभी क्षेत्रों और सभी विधाओं में प्रगति और नए अनुसन्धान भी विकास की श्रेणी में आते हैं I मजहबी कट्टरवाद विकास के सभी प्रकार के घटकों को प्रभावित करता है I


आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं अर्थशास्त्री एंगस मेडिसन ने एक अनुसन्धान (विश्व आर्थिक इतिहास – एक सहस्राब्दी परिप्रेक्ष्य) किया था जिसमें बताया गया था कि 1 ईस्वी से 1500 ईस्वी तक भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था तथा विश्व के सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) में भारत का सर्वाधिक योगदान था I इसके बाद की तीन शताब्दियों तक भारत और चीन में प्रथम पायदान पर बनने की स्पर्धा होती रही थी I किन्तु इसके बाद का काल देखें तो वर्ष 1947 तक अर्थात स्वतंत्रता के समय तक भारत के विकास का पतन होता गया और विश्व की अर्थव्यवस्था में 1947 तक मात्र 3 प्रतिशत (टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार) सहभाग ही रह गया I इसका कारण अंग्रेजों का कुशासन, उनकी कुनीति और प्राकृतिक एवं मानवनिर्मित अकाल जैसी आपदाएं तो थे ही किन्तु यह भी गौर करना चाहिए कि भारत में पनपे दीर्घकालीन मजहबी कट्टरवाद ने भी भारत के विकास को इस निम्न स्तर पर पहुँचा कर रख दिया I


वैसे तो भारत में 636 इस्वी से ही मजहबी आक्रमण होने लगे थे, लेकिन भारत के अर्थतंत्र और विकास के विविध क्षेत्र मुगलों के आक्रमण के बाद से ही सर्वाधिक रूप से प्रभावित हुए I यह काल 15 वी शताब्दी के पश्चात समझा जाता है I मुगलों का भारत पर आक्रमण केवल एक आक्रमण या लूटपाट ही नहीं था बल्कि उनका राजनीतिक उद्देश्य भारत की भूमि पर बसना और इस पर शासन करके यहाँ कि संस्कृति में हस्तक्षेप करना भी था I वह मुगलों का शासन ही था जिसने मजहबी कट्टरता के ऐसे बीजों का अंकुरण किया जिन्होंने भारत के विकास में अवरोधक का कार्य किया और जिससे आज भी भारत ग्रस्त है I जो क्षेत्र इन आक्रान्ताओं के अधिपत्य में आता गया वहां विदेशी दृष्टि के माध्यम से एक भिन्न मजहबी जीवनशैली थोंपने के कारण वहां के विकास का पतन होता गया और प्रतिरोध झेलने ने कारण मजहबी श्रेष्ठतावाद और मजहबी कट्टरतावाद प्रचारित होता गया I इस काल के पहले भी आक्रान्ता आए थे एवं उन्होंने भी मजहबी कट्टरता के नृशंस उदाहरण प्रस्तुत किए थे , लेकिन उनका तीव्र प्रतिरोध किया गया था एवं उनका शासन भारत के आंशिक रूप से संकीर्ण क्षेत्रों में ही था, जिसका प्रभाव विकास और संस्कृति पर बहुत कम पड़ा, लेकिन मुग़ल काल की स्थिति इसके विपरीत थी I


पीढ़ी दर पीढ़ी मुगलों का वंश बढ़ता गया और उनका शासनकाल भी बढ़ता रहा I इसी के साथ उन्होंने मजहबी जीवनशैली यहाँ के मूलनिवासियों पर बलपूर्वक थौंपी और गौरवशाली भारत के विकास का ह्रास होता गया I जो भारत पहले सोने की चिड़िया कहलाता था, जहाँ ज्ञान सीखने विदेशों के विद्यार्थी आते थे एवं जिसका व्यापार के क्षेत्र में पूरे विश्व में एकछत्र राज्य था; उसके मूलनिवासी अब अपनी सुरक्षा और प्राणों के लिए विनती करने लगे थे I मंदिर, जो कि चारित्रिक और सांस्कृतिक विकास के साथ-साथ आर्थिक विकास के भी केंद्र थे, उन्हें ध्वस्त कर दिया गया; जिसके कारण भारतीय समाज की मंदिरों पर आधारित अर्थव्यवस्था का पतन हुआ और दारिद्र्य का उद्भव होने लगा I बौद्धिक विकास के केंद्र हमारे मंदिरों के साथ-साथ विद्यापीठ, गुरुकुल और विश्वविद्यालय भी थे, जिन्हें बलपूर्वक क्षीर्ण किया, जिसके कारण कला और सर्वांगीण विकास के अन्य मार्ग भी बंद होने के छोर पर आ रुके I मात्र मजहबी विचारधारा को न मानने एवं स्वबोध का अनुसरण करने के कारण भारत के विकास के समस्त क्षेत्रों का सर्वनाश कर दिया गया I


केवल भारत ही नहीं, बल्कि वर्तमान काल में कई ऐसे देश जो अपने विकास के लिए जाने जाते थे, वह भी इसी मजहबी कट्टरवाद के कारण विनाश का स्वाद प्राप्त कर चुके हैं और अपने समय से कई दशक पीछे पहुँच गए हैं I ईराक, अफगानिस्तान और सीरिया इसके सबसे प्रासंगिक उदाहरण हैं I यहाँ जिहाद के कारण मतिभ्रमित कट्टरवादियों ने विकास के मार्ग पर चल रहे शांतिप्रिय देश को जीवंत नरक बना दिया I वहीँ पाकिस्तान एक ऐसा उदाहरण है जो अपनी मजहबी मानसिकता और कट्टरतावाद के कारण ही सर्वांगीण विकास की सीढियां नहीं चढ़ पा रहा है I मजहबी कट्टरवाद की मानसिकता आज विश्व की वृध्दि और उन्नति के लिए एक संकट के रूप में उभर रही है जिसके लिए विश्व को चिंतन-मनन करना आवश्यक है I


आज इसी विषय पर भारत का परिदृश्य देखें तो यहाँ भी विकास पर मजहबी कट्टरतावाद का घात हुआ है I 26/11 को मुंबई में हुआ आतंकवादी हमला इसका प्रासंगिक उदाहरण है I ताज होटल, ओबेराय होटल, हॉस्पिटल, रेलवे स्टेशन आदि, यह सभी सामान्य जनमानस की दृष्टि में विकास के ही प्रतीक थे; लेकिन मजहबी आतंक के कारण वह सुरक्षित नहीं रह पाए और वैश्विक कट्टरवाद का दंश उन्हें झेलना पड़ा I वर्तमान में चल रही वन्दे भारत एक्सप्रेस भी विकास का उदाहरण है लेकिन उस पर निरंतर हो रहे पत्थरों से हमलें मजहबी कट्टरतावाद का ही उदाहरण है I जब CAA आन्दोलन के समय ट्रेनों पर पत्थर फेंके गए, पटरियों पर मलबा फेंका गया, उद्यानों और स्टेशनों जैसे कई सार्वजनिक स्थलों पर तोड़फोड़ की गई; वह सब निरंतर इसी तथ्य को साबित करता है कि भारत चाहे कितना ही उच्चकोटि का विकास कर ले लेकिन जब तक वह मजहबी कट्टरतावाद के विरूद्ध अपनी एक स्पष्ट नीति नहीं बनाएगा, उसका विकास सदैव संकट के घेरे में ही रहेगा I इस मजहबी कट्टरतावाद के रोग से भारत को बचाने के लिए उन सभी वर्गों का बौद्धिक विकास करना चाहिए जो इसे अपनी जीवनशैली का अंग समझ बैठे हैं तथा जिनके लिए उनकी कट्टरता उनका मजहबी कर्तव्य बन चुकी है I


लेकिन सुखद बात यह है कि पिछले एक दशक से एक ऐसी सरकार का शासन है जो इस मजहबी कट्टरवाद के संकट से सकुशलतापूर्वक उबारने में सक्षम है I आज भारत में विकास के साथ-साथ सुरक्षा की नीति भी क्रियान्वित है I लोक विकास का एक पहलू यह भी है कि नागरिक के विकास के साथ उसे भयमुक्त वातावरण भी देना होता है, और इसी का निर्वहन करने में वर्तमान सरकार सफल हुई है I जहाँ पहले आए दिन देश के बड़े शहरों में बम धमाकों और दंगों के समाचार आते थे एवं उनके समाचार सामान्य हो गए थे, वहीँ आज इस सरकार ने लगातार मजहबी नेक्सस पर प्रतिघात करके नागरिकों को भयमुक्त वातावरण देने के प्रयास किए हैं I इसी का परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों से बम धमाके या दंगे के समाचार दुर्लभ हो गए हैं जो पहले आए दिन समाचारपत्रों में प्रकाशित होते थे I आज भारत विकास के कीर्तिमान रचता हुआ आगे भी बढ़ रहा है और वैश्विक एवं आन्तरिक स्तर पर मजहबी कट्टरतावाद के संकट से उबरने के लिए सतत प्रयास भी कर रहा है I


आज भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि इस मजहबी कट्टरतावाद के प्रति मुखर हो जाए एवं अपना स्पष्ट मत भी बनाए I जब नागरिक अपना मतदान अपने विकास के लिए सोचकर देता है तो यह उसी नागरिक की जिम्मेदारी भी है कि उसी विकास की सुरक्षा के लिए भी चिंतन करे I विकास के साथ सुरक्षा का पैमाना भी हमें सोचना पड़ेगा क्योंकि यदि मजहबी कट्टरता से सुरक्षा की गारंटी नहीं होगी तो हमें प्राप्त विकास औचित्यहीन हो जाएगा I हमें आज यह चिंतन करना होगा कि किस शासन, किस सरकार, किस परिप्रेक्ष्य में हम विकास और सुरक्षा दोनों प्राप्त कर पाएंगे एवं क्या नीतियाँ भारत के समग्र विकास को मजहबी कट्टरता से बचा सकेगी I

- अथर्व पंवार, इंदौर