Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain Darshan


Ujjain रेलवे स्टेशन से Mahakal Mandir की दूरी लगभग 3.5 किलोमीटर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकाल जाने के लिए कुल दो रास्ते हैं जो एक मालीपुरा होते हुए कोर्ट मोहल्ले होते हुए सीधे Mahakal Mandir की ओर जाता है इसकी दूरी लगभग 3 किलोमीटर है और वही दूसरा दूसरा रास्ता हरी फाटक ओवर ब्रिज से होते हुए ujjain mahakal lok के नंदी द्वार तक जाता है। जिसकी दूरी लगभग 2:30 किलोमीटर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से Mahakal Mandir जाने के लिए के लिए ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, या प्राइवेट टैक्सी या फिर सार्वजनिक वाहन का उपयोग किया जा सकता है। मालीपुरा से होते हुए Mahakal Mandir का रास्ता शहर के बीच होने के कारण यह दूरी पैदल भी तय की जा सकती है। 


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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ उज्जैन दर्शन Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain Darshan 



Ujjain Mahakal Darshan 

Ujjain Mahakal मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने हेतु अनेक लॉज धर्मशाला होटल स्थित है। रेलवे स्टेशन के सामने की ओर एवं एवं देवास गेट चौराहे से मालीपुरा की ओर जाने वाले रास्ते पर भी लॉज और होटल स्थित है। जिन में आने वाले यात्री न्यूनतम शुल्क के साथ ठहर सकते हैं एवं Mahakaleshwar Jyotirlinga दर्शन के लिए जा सकते हैं। 

रेलवे स्टेशन के सामने की ओर जो होटल है और लॉज है उसके अतिरिक्त Mahakal Mandir क्षेत्र में भी अनेकों भोजनालय लॉज होटल एवं धर्मशाला है बनी हुई है जिनमें भी अनेकों श्रद्धालु प्रतिदिन आकर रुकते हैं और mahakaleshwar jyotirlinga के दर्शन का लाभ लेते हैं। Mahakal Mandir परिक्षेत्र में न्यूनतम शुल्क पर लॉज होटल एवं धर्मशाला में कमरे किराए पर उपलब्ध हो जाते हैं जिन की न्यूनतम कीमत ₹400 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से प्रारंभ होती है। 

Mahakal Mandir क्षेत्र में स्थित लॉज होटल और धर्मशाला ओं में mahakaleshwar online booking इंटरनेट के माध्यम से भी बुकिंग की सुविधा रहती है। यदि कोई यात्री पूर्व में ही ठहरने की सुविधा के लिए कमरे की online booking करवाना चाहे तो यहां स्थित होटल लॉज और धर्मशालाएं online booking की सुविधा प्रदान करती है।

Ujjain के धार्मिक तीर्थ स्थलों के ही मालवा क्षेत्र का एक और मुख्य नगर Indore भी है। भारत में भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग मे दो ज्योतिर्लिंग मालवा में स्थित है। मालवा में स्थित दूसरा ज्योतिर्लिंग इंदौर क्षेत्र के ओंकारेश्वर में Mamleshwar Jyotirlinga के नाम से स्थित है। नर्मदा नदी के तट पर बसा ओंकारेश्वर तीर्थ आदिगुरु शंकराचार्य जी की तप स्थली भी है। आदि गुरू शंकराचार्य जी महाराज का ज्ञान से साक्षात्कार ओंकारेश्वर में हुआ था। 

Omkareshwar के पास ही एक नगर और है जो कि आदिगुरू शंकराचार्य जी से जुड़ा हुआ है। जिसे महेश्वर के नाम से जाना जा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि शंकराचार्य जी के ज्ञान से साक्षात्कार के बाद मंडन मिश्र नामक विद्वान और आदिगुरू शंकराचार्य जी के बीच शास्त्रार्थ महेश्वर में ही हुआ था। 

इस प्रकार मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में दो jyotirlinga स्थित होने के कारण इसका महत्व अधिक हो जाता है। जिस प्रकार mahakaleshwar jyotirlinga के समीप mahakal lok कॉरीडोर का निर्माण कराया गया है। उसी प्रकार omkareshwar में भी विकास को ध्यान में रखते हुए आदिगुरु शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।

उज्जैन में mahakaleshwar jyotirlinga में बाबा mahakal की भस्म आरती भी विश्व विख्यात है। इसके अतिरिक्त और भी अनेक मंदिर हैं जिनका ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है। उन सभी की यात्रा के लिए Mahakal Mandir परिक्षेत्र से ऑटो रिक्शा ई-रिक्शा सार्वजनिक वाहन या प्राइवेट टैक्सी कर सभी का दर्शन लाभ लिया जा सकता है। 

Mahakal Mandir के ठीक पश्चिम दिशा की ओर मां Harsiddhi शक्तिपीठ स्थित है। मां हरसिद्धि शक्तिपीठ भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है एवं सम्राट विक्रमादित्य की कुलदेवी भी है। हरसिध्दि शक्ति पीठ के पीछे की ओर मोक्षदायिनी मां शिप्रा प्रवाहित होती है। यह भारत की एकमात्र नदी है जो दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होती है। 

मां क्षिप्रा के घाटों पर अनेक मंदिरों को स्थापित किया गया है। श्रावण मास में होने वाली 84 महादेव की यात्राओं में आने वाले अनेक महादेव मंदिर क्षिप्रा नदी के घाट पर स्थित है। 

इसके अतिरिक्त क्षिप्रा नदी घाट पर संध्या आरती का विशेष महत्व है। क्षिप्रा नदी के पास ही दानी गेट पर स्थित एक जैन तीर्थ भी स्थापित है। जहां पर संपूर्ण भारत के जैन धर्म को मानने वाले दर्शन के लिए आते हैं। शिप्रा नदी के पश्चिमी घाट पर दत्त अखाड़ा स्थित हे। दत्त अखाड़े के पास ही एक गुरुद्वारा स्थित है। 

यहां माना जाता है कि जब गुरुनानक देव जी भारत भ्रमण पर अपनी यात्रा पर निकले थे। उस समय ujjain के इसी गुरुद्वारे के स्थान पर गुरु नानक देव जी ने अपनी अमृतवाणी कही थी। उज्जैन में उनके द्वारा दिए गए उपदेशो को गुरु ग्रंथ साहिब में भी समाहित किया गया है। क्षिप्रा नदी के तट पर ही बाबा काल भैरव का मंदिर स्थित है। 

यहां बाबा कालभैरव स्वयं विराजित है। बाबा को चढ़ने वाला मदिरा भोग बाबा कालभैरव स्वयं ग्रहण करते है। ऐसे ही उज्जैन नगर में अनेको अद्भुत मंदिर स्थापित है जहां के दर्शन मात्र से मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता बढ़ने लगती है।

Ujjain Mahakal मंदिर के साथ ही mahakal lok कॉरीडोर और अनेक तीर्थस्थल के दर्शन का लाभ भी मिलता है। उज्जैन की दक्षिण दिशा से क्षिप्रा नदी के त्रिवेणी संगम के तट पर शनि नवग्रह मंदिर से प्रारंभ होकर उत्तर दिशा की ओर मंगलनाथ मंदिर से होते हुए सिद्धनाथ तक स्थित है। 

जिनके दर्शन के लिए स्थानीय साधनों का उपयोग किया जा सकता है। सार्वजनिक वाहन या ऑटो रिक्शा या ई-रिक्शा या नीजि टैक्सी के द्वारा उज्जैन दर्शन के लिए भी जाया जा सकता है। प्रत्येक दर्शनार्थी 250 से 400 रू. तक किराया देकर उज्जैन नगर के सभी धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकते है। 

Mahakaleshwar Jyotirlinga के दर्शन के लिए बाहर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को उज्जैन में सभी प्रकार की सुविधाएं न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध हो जाती है। श्रद्धालुओं के ठहरने से लेकर भोजन, यात्रा एवं सभी धर्म स्थलों के दर्शन आदि सभी अत्यंत न्यूनतम खर्च पर उपलब्ध रहता है। 

जिसके कारण दर्शनार्थियों को उज्जैन शहर रास आने लगता है। और वे बार बार बाबा mahakaleshwar jyotirlinga दर्शन हेतु ujjain में यात्रा के लिए आते है। Ujjain महाकाल सहित और भी अन्य धार्मिक पर्यटन की नवीनतम जानकारी के लिए हमें फॉलो करते रहिये।