फिल्मे किस प्रकार से नैतिक मूल्यों को प्रतिस्थापित करती हैं 

हम अपने परिवार को लेकर बहुत संवेदलशील रहते हैं और हमें रहना भी चाहिए। परिवार के सस्दयों का एक दूसरे के प्रति परस्पर लगाव ही परिवार को जोड़ कर रखता हैं। और अपने अच्छे समय के साथ ही विपरीत परिस्थियों में परिवार के सदस्यों का लगाव अधिक सामने दिखाई देता हैं। आज हम परिवार के प्रति अपने प्रेम और लगाव को ध्यान में रखकर ही हाल ही में कुछ प्रमुख फिल्मे और वेबसेरीज़ आयी हैं, जिनके बारे में बात कर सकते हैं।


Filme Kis Prakar Se Netikta Ko Sthapit Karti Hain


 विजय सेतुपति की महाराजा, आसिफ अली और विजयराघव की किष्किंधा काण्ड, करीना कपूर खान और जयदीप अहलावत की जाने जान, दुलकर सलमान की लकी भास्कर, रणवीर कपूर की एनिमल के साथ ही और भी कुछ फिल्मे हैं, जिन्हे हम इस श्रेणी रख सकते हैं। अब बात की जाए फिल्मो की कहानी की तो हम देख सकते हैं कि यह सभी फिल्मो को बनाने वाले भारत के अलग-अलग प्रांतो में रहने वाले लोग हैं, और उन फिल्मो के कलाकार भी क्षेत्रीय और भाषायी आधार पर भिन्न हैं। लेकिन परिवार और अपनेपन की समानता सभी फिल्मो में देखने के लिए मिलती हैं।

 

बात करते हैं विजय सेतुपति की महाराजा की बात की जाए तो इसमें हम पिता - पुत्री के परस्पर प्रेम को बहुत ही बेहतर तरीके से देख सकते हैं। इस परिवार में केवल दो ही सदस्य हैं। एक पिता अपनी बेटी के साथ हुए अनाचार को लेकर किस प्रकार उसके अपराधियों को ढूंढकर न्याय करने का प्रयास करता हैं और पुलिस गंभीर अपराध के प्रति कितनी संवेदनशील होकर काम करती हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण हमें इस मूवी को देखने से मिलता हैं। किस प्रकार से एक बेटी का पिता अपनी बेटी के साथ हुए अत्याचार को सांकेतिक शब्दों से सभी को बताता हैं ताकि उसकी बेटी को वह पीड़ा बार बार न सहना पड़े जो उसने एक बार सहन कर ली है। परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रेम और विश्वास के महत्व को यह फिल्म अच्छे से चरितार्थ करती हैं। 

 

आसिफ अली और विजयराघव की किष्किंधा काण्ड में पिता-पुत्र के सम्बन्ध के बीच के मर्म को बताने का पर्याप्त प्रयास किया गया हैं। एक माँ के हाथो से अनजाने में अपने बेटे का मर जाना और एक पिता के हाथो अपने पुत्र के बेटे के शव को उचित स्थान प्रदान करना और पिता की अजीब बीमारी के बारे में मालूम होते हुए भी हमेशा अपने पिता के साथ डटकर खड़े रहना। और जानते हुए भी की अब उसका बीटा कभी लौट के नहीं आ सकता हैं, फिर भी उसे हर जगह ढूंढने जाना। परिवार के प्रति साहसिक कर्त्तव्य और विश्वास को बताने वाली यह फिल्म भी हमें परिवार के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।


Filme Kis Prakar Se Netikta Ko Sthapit Karti Hain


 

करीना कपूर खान और जयदीप अहलावत की 'जाने जान' मूवी भी परिवार और परस्पर स्नेह को बताने में सफल होती दिखाई देती हैं। किस प्रकार से हम अपने परिवार के साथ रहते हुए अपने आस-पास के लोगो के साथ भी एक महीन सम्बन्ध स्थापित कर लेते और जाने अनजाने में उनकी अविश्वसनीय सहायता कर देते हैं, जिसे बाद में जानकर हम स्वयं भी आश्चर्य से भर जाते हैं। जाने जान मूवी में भी कुछ ऐसी ही बातो को बेहतर ढंग से दिखाया गया है। माँ - बेटी का छोटा परिवार हैं और उनसे अनजाने में कुछ ऐसा घट जाता हैं कि जिससे बाहर आना उनके बस का नहीं है और ऐसे में उनके पड़ोस में रहने वाला मैथ्स टीचर उनको हर समय बचाने का प्रयास करता हैं, क्योकि कभी अनजाने में उस माँ ने टीचर को खुदखुशी करने से बचाया था। परस्पर प्रेम और लगाव की कहानी कहती यह फिल्म हमें अपने परिवार और साथियो के प्रति विश्वास को दृढ करती नजर आती हैं। 

 

दुलकर सलमान की लकी भास्कर, रणवीर कपूर की एनिमल मूवी परिवार के प्रति अपने कर्त्तव्य को दर्शाने का काम करती हैं, लेकिन यह मूवी समाज के नैतिक नियमो का उलंघन करने के लिए भी उकसाती हैं। इन दोनों ही फिल्मो में परिवार के भीतर पिता पुत्र के सम्बन्धो को स्पष्ट रूप से दिखने का प्रयास किया गया हैं। इनमे दिखाया गया हैं कि कैसे एक पिता को अपने बेटे के सभी गलत कामो का आभास होता रहता हैं और समय आने पर पिता अपने पुत्र को नियन्त्रिक करने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

 

ऐसी ही और भी मूवी और वेबसेरीज़ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं, जिन्हे परिवार के सभी सदस्यों को देखना चाहिए या देख सकते हैं। परिवार और समाज के भीतर हो रहे सभी प्रकार के परिवर्तनों को दिखाने का प्रयास करती मूवी और वेबसेरीज़ हमें बहुत कुछ कहने का प्रयास भी कर रही हैं।

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