GST Regular Scheme
जीएसटी रेगुलर स्कीम
भारत के वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली के तहत एक मानक कराधान संरचना है। इसके अंतर्गत व्यवसायों को अपनी वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति पर GST एकत्र करना और सरकार को जमा करना होता है। साथ ही, वे अपनी खरीद पर भुगतान किए गए GST का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ ले सकते हैं।
GST Regular Scheme |
यहाँ GST रेगुलर स्कीम के मुख्य बिंदु हिंदी में दिए गए हैं:
1. लागू होने की शर्तें
- जिन व्यवसायों का वार्षिक टर्नओवर ₹20 लाख (विशेष श्रेणी राज्यों के लिए ₹10 लाख) से अधिक है, उन्हें GST के तहत पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स, इंटर-स्टेट सप्लायर्स, और कुछ अन्य श्रेणियों को टर्नओवर की सीमा के बावजूद पंजीकरण करवाना होता है।
2. टैक्स दरें (GST Rates)
GST की दरें 5 मुख्य श्रेणियों में आती हैं: 0%, 5%, 12%, 18%, और 28%, जो वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार पर निर्भर करती हैं।
3. इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC)
- GST रेगुलर स्कीम के तहत पंजीकृत व्यवसाय अपनी खरीद पर भुगतान किए गए GST का क्रेडिट ले सकते हैं।
- यह क्रेडिट उनके कुल टैक्स देयता (टैक्स लायबिलिटी) को कम करने में मदद करता है।
4. अनुपालन (Compliance)
- GST रेगुलर स्कीम में पंजीकृत व्यवसायों को नियमित रूप से GST रिटर्न फाइल करना होता है, जैसे:
- GSTR-1 (बिक्री विवरण)
- GSTR-3B (सारांश रिटर्न)
- GSTR-9 (वार्षिक रिटर्न)
5. चालान (Invoicing)
- व्यवसायों को कर चालान (Tax Invoice) जारी करना आवश्यक है, जिसमें निम्नलिखित विवरण होना चाहिए:
- GSTIN (GST पंजीकरण संख्या)
- HSN/SAC कोड
- GST दर और कर राशि
6. कौन इस स्कीम का विकल्प नहीं चुन सकता?
- छोटे व्यापारियों के लिए Composition Scheme एक वैकल्पिक योजना है, जिसमें टर्नओवर की सीमा ₹1.5 करोड़ (कुछ राज्यों के लिए ₹75 लाख) तक है।
- कंपोजीशन स्कीम में कम अनुपालन होता है, लेकिन इसमें ITC का लाभ नहीं मिलता।
यदि आपको GST रिटर्न फाइलिंग, टैक्स दरों या किसी अन्य विषय पर अधिक जानकारी चाहिए, तो मुझे बताएं!
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